यह दोस्ती मैं नहीं तोड़ूंगा .................
आज आगमन हुआ उस दिन का जिसका मैं बेसब्री से इंतज़ार किये जा रहा था जिसकी अभिलाषा मेरे मन को खाए जा रही थी ज़िन्दगी का एक मोड़ तो ढल गया हैं , अपनी मंज़िल की खोज में पर आज फिरसे तारो ताज़ा होने लगा हूँ उन पुरानी यादों में जिन्हे याद कर फिरसे छा गयी आज होंटों पे हास्सी, और पलखों में नमी मन आज फिरसे हो गया कॄतज्ञनता से भारी. जिन्होंने मेरे बचपन में दोस्ती का हात स्वीकार किया उन्होंने ही दोस्ती की एक नहीं परिभाषा कायम की पहले दिन तो सब थे अनजाने ,पर बातों-बातों में पता नहीं कब हो गए एक दुसरे के दीवाने , क्या बताओ उस दिन से ही मैंने एक सच्चा दोस्त पाया शायद तुम भूल गए होंगे पर आज भी वह याद कायम हैं मेरे ज़हन में लड़ाई-झगड़े , रूठना-मानना , हस्सी-मज़ाक, प्यार-ईर्ष्या , यह सब तो दोस्ती के ही अलग-अलग पहलू थे जिन दोस्तों की वजह से मेरे भूतकाल इतना अविस्मरणीय रहा...