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आज युहि याद आयी तुम्हरी.........

 आज युहि याद आयी तुम्हरी आज युहि नमि छयी आंखो पे मेरी याद आये वो पल जब दोस्ति तुम्हरे आंखों में चमकती थी और लब्जो से झलकती थी गुजरे लम्हे ताजा हो गये आज   टुटी हुई दोस्ति पे पछ्तया आज  फ़िरसे गुनगुनये तुम्हरी कहि बात जखमो को भरने के लिये वक़्त लगता है आज क्यों न बन जाऊ मरहम फिर से आज इतने अरसे बाद  कितने कदम चलते आ गए दूर आया हु तुमसे मिलने ग़म को पीछे छोड़ दिया  पर यादे रेह गये अधूरे......... चौदा बरस बीत गये मन में आज भी एक हि सवल हैं  कि अगर आज एक कदम टूटी दोस्ती कि तरफ़ बढाया तो  क्या तुम इस् दोस्ति को स्वीकारना चहोगी? और मेरि बीती  अपरिपक्वता को नजरंदाज कर पाओगे? आज युहि याद आयी तुम्हरी आज युहि नमि छयी आंखो पे मेरी