Posts

Showing posts from May, 2015

एक अधूरी दास्तान उस बारिश के शाम

आज देखा एक युवती को बारिश की शाम थी और एक हसीन लहर थी थी खिड़की पर ताकती किसी की राह , कभी पलक झपकती, कभी मुस्कुराती कभी झट से आँखें मूँदती,कभी प्रफुल्लित होती , कभी आँखों से टपकते हुए मोतियों को ऐसा सहलाती मानो उस बारिश के बूंदों में समां देना चाहती, आँखें दूर दूर तक किसीको ढूंढ रही किसी मसीही को? या उसका सपनो के राजकुमार को? अचानक उसकी नज़र पड़ी सामने के रंगीन उद्यान पर जहा एक युवक बैठा था एकांत आँखों में प्यार और लब्ज़ों पे किसी का नाम लेकर पर चेहरे पर एक अजीब उदासीनता को छिपाता हुआ अचानक एक पंछी उड़के उसके पास बैठा और लड़के ने पलके झपकी और मानो कोई संदेसा दे रहा था उस पंछी ने एक लम्बी उड़ान ली और पहुँच गया उस युवती के पास  और बैठ गया खिड़की पर युवती के समक्ष कुछ चुहचुहाया मानो संदेसा दे रहा हो उस युवती के आँखें भर गयी पर फिर भी वह शांत थी। ग़म तो दोनों के दिल में हैं पर दोनों एक दुसरे को समझा नहीं पा रहे थे वक़्त जुज़रा ………… कभी वह युवती  आके बैठती उस  बाकडे पर जहा उस दिन वह युवक बैठा था और कभी वह खुद पर कभी उन  दोनों साथ नहीं बैठा  पाया और धीरे धीरे मैं अपने आँखों क

किंकर्तव्यविमूढ़

हे इंसान तु यह जान ले की तु अभी भी सिर्फ इंसान ही हैं यह मत भूल की तू भगवान नहीं अपनी कमज़ोरियों को समझ उनको स्वीकार कर अपनी भूलों का विश्लेषण कर उनको दोहराओ मत अपनी सीमा का अनुमान लगाकर अपने कर्मों पर नियंत्रण रख अपने षडरिपुओं को त्याग कर अपने आप को खोज अविष्कार करके एक नयी मिसाल बन हे इंसान तू यह जान ले की तू अभी भी सिर्फ इंसान ही हैं , भगवान नहीं हे इंसान तू यह जान ले की तू आज सिर्फ इंसान हों पर कल तू भगवान बनाने की क्षमता रखता हैं आज तू भले ही इस ज़िन्दगी में हैवान हैं पर अगर तो उस ज़िन्दगी के उन ज़ंजीरों को तोड़ खुद को खुद से अलग करेगा तो तू ज़रूर भगवान ही बनेगा यह मेरा आश्वासन हैं तुझे!!!!! इन दो अनुच्छेद को पढ़ कोई भी किंकर्तव्यविमूढ़ में चला जा सकता हैं।  पर जीवन के सच को अनावरण करने के लिए खुदा ने पृथ्वी ने अनेक अवतरण ले हर एक राहगीर को पनाह देकर जीवन का कठोर सच से अनुभव कर जीवन का अर्थ समझाया हैं।  पर क्या इस पाठ को सिर्फ भूल जाना अनुचित हैं? 

Who is "He"

If you burn a candle in  someone's life, you lighten his/her life  But when u burn a candle in yourself , you would enlighten the whole world It is not what you are that matters, But it matters what you do. Don't search for a life outside yourself But try to find the whole universe in yourself It does not matter how you search?, But it matters what you actually search Embrace it! Culture it! and Embed it! Where it matters the most. He has made all of us Wise to make Wise decisions Not only of of mankind but of the universe You are just a puppet in His hands,  Accept it! Justify it! and Make it worth a living Why search for Him in places where you want Him to be? Rather "realise" He is Omnipresent, Omnipotent, Omniscient Still so humble and caring............ Why spend your life trying to find out what is the truth? When nothing in this world is permanent except for Him. Some call Him Jesus, Some Prophet, some Ram and so on...... But "He&qu