या अल्लाह !

गूंजा है आसमान,  गूंजी है ज़मीन आज ख़ुशी में,  तेरी इनायत से
 आज मिलन हुआ मेरा अपने वर्त्तमान से,तेरी इनायत से
 सजा धजा  तू ने तेरे बन्दों को अपने आघोष में। 


तू ही मालिक ,
तू ही नुमाईंदा 
तो क्यों न भूलु  "मैं" ?
तेरे रेहमत से आज हम फूले-फले 
या अल्लाह लेले जल्दी हमें अपने गर्दिश में
 हैं गवाह तू इस जीवन का 
तो क्यों लोग न माने तेरे मर्ज़ी को ?
सबको बख़्श  कर तू अपनी पनाह में  
क्या इतनी है तेरी चाहत और रेहम इंसानों पे 
जिसका बया  करते-करते ज़ुबान से निकले
 या अल्लाह !

Comments

Popular posts from this blog

ज़िन्दगी गुज़र गयी आपकी तलाश में

How to make the best use of Credit Cards?

प्रेम करा बघून .....................